Friday, 4 May 2018

प्यार जो मिट नहीं पाया

 कुछ यादें दिल के कोने में इस तरह बस जाता है. उसको कितना भी इग्नोर करो याद आ ही जाता है. मन उड़ कर उन यादो में चला जाता है जो हमने बहुत पहले बिताये थे. और मन को सारी तस्वीरे आँखों के सामने आ जाते है. और मन उसे ढूढने लगता है. काश वो आ जाता.
10वी class का exam शुरू हो रहा था. गावं के लड़के शहर आ रहे थे. शहर में धीरे-धीरे भीड़ बढ़ रहा था. कोई अपने रिश्तेदार के यहाँ आता तो कोई भाड़े पर room लेता. एक दिन शाम को मैं अपने छत पर घूम रही थी. तीन मंजिल के मेरे घर के सामने ही एक मंजिल का घर था. उसमे भी एक लड़का आया था. गोरा-गोरा चेहरा, बड़ी-बड़ी आखे और घुंघराले बाल. गजब का लग रहा था. मैं उसे काफी देर तक देखती रही. जब उसने मुझे देखा. हम दोनो की आखे मिल गई. मैंने हडबडाते हुए आखे नीची कर ली थी. और छत के दुसरे तरफ चली
जब भी समय मिलता उसे मैं छुपकर देखती. पता नहीं क्या था उसके अंदर जो अपने तरफ खीच रहा था. मैं उसे हमेशा देखना चाह रही थी. मैंने अपने room के खिड़की आधा खोल देती और वहाँ से छुप कर देखा करती थी.  जब हमलोग कभी बाहर दीखते तो मेरी धड़कन तेज हो जाती और अपनी आखे नीची करके तिरछी निगाहे कर के देख लेती. मैं हमेशा wait करती कब बहार आ रहा है. तो उसी समय मैं भी सज-सवर कर बहार निकलती. अब मुझे सजना-सवरना काफी अच्छा लग रहा. मेरा मन करता उसे बिच रास्ते में रोक लूँ और आई love यू बोल दूँ. मगर मिलते ही जबान पर ताला लग जाता था. कितनी ही बार हम दोनों की आखे मिली. उसकी बड़ी-बड़ी आखे, उसे बस देखते रह जाऊ.
Moral story in hindi -एक कहानी जो आपकी जीवन बदल देगी.
exam के दिन बित रहे थे. अभी तक हमारा जान-पहचान नही हुआ था. मैं कितनी बार बोलना चाही मगर वह इस तरफ कभी ध्यान नहीं दिया. और अपना अधिकतर समय बस पढाई पर ही बिताता.   
काफी रात हो गया था. मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं उठकर छत पर टहलने चली गई. मैं उसके तरफ देखा. वो अपने छत पर स्ट्रीट लाइट के निचे अभी भी पढ़ रहा था. मैं खड़ी होकर काफी देर तक उसे देखते रही. मगर वह किताबो में खोया रहा.
अगले दिन मैं बाज़ार चली गई. शाम को जब वापस आई तो उसके room के तरफ देखा. उसमे ताला लगा हुआ था. काफी देर तक बेचैन हो उसका wait करने लगी. काफी समय बित जाने के बाद भी वह दिखाई नहीं दिया. किसी ने बताया exam खत्म हो गये है. सभी अपने-अपने घर चले गये. मेरा दिल जोर से धडकने लगा. समझ में कुछ नहीं आ रहा था. इन आखो को उसे देखने की आदत हो गई. मन में एक सूनापन भर आया. मैं अपने room में आई और उसी खिड़की के पास बैठ गई. खिड़की के पास ऐसे लगा वो मेरे सामने ही है.
इस बात को काफी समय बित गया. मेरी शादी भी कही और हो गई. जब भी मैं उस खिड़की के पास जाती हूँ तो वह चेहरा आखो के समाने आ जाता है. एक यादें फिर से ताजा हो जाती है. वही गोरा चेहरा, बड़ी-बड़ी आखें, घुंघराले बाल आज भी मुझे घूरता है. दिल के कोने से यही आवाज आती है – वही मेरा पहला प्यार था जो मिट नहीं पाया.
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