Sunday, 28 July 2019

पंचतंत्र की कहानी: शरारती बंदर और लकड़ी का खूंटा (Panchtantra Ki Kahani: The Monkey And The Wedge)

 शरारती बंदर और लकड़ी का खूंटा

पंचतंत्र की कहानी: शरारती बंदर और लकड़ी का खूंटा (Panchtantra Ki Kahani: The Monkey and the Wedge)
बहुत समय पहले की बात है, एक शहर से कुछ ही दूरी पर एक मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था, जिसके लिए कई मज़दूरों को रखा गया था. वो मज़दूर फिल्हाल लकड़ी का काम कर रहे थे, इसलिए यहां-वहां लकड़ी के ढेर सारे लठ्ठे पड़े हुए थे. इन लकड़ियों को चीरने का काम ज़ोर-शोर से चल रहा था. सभी मज़दूर दिनभर काम करते. सुबह होते ही काम पर लग जाते, लेकिन उनको दोपहर का भोजन करने के लिए काफ़ी दूर जाना पड़ता था, इसलिए दोपहर के समय काफ़ी देर तक वहां कोई नहीं होता था. एक दिन की बात है, खाने का समय हुआ और सारे मज़दूर काम छोड़कर खाना खाने के लिए चल पड़े. इनमें से एक लठ्ठा आधा चिरा ही रह गया था. उस आधे चिरे लठ्ठे में मज़दूर लकड़ी का कीला फंसाकर चले गए, ताकि वापस आने पर जब वो दोबारा काम शुरू करे, तो आरी घुसाने में आसानी रहे.
सारे मज़दूर तो जा चुके थे, लेकिन तभी वहां बंदरों का एक दल उछलता-कूदता आया. सभी बंदर यहां-वहां उछल-कूद करके खेल रहे थे. उनमें एक बंदर कुछ ज़्यादा ही शरारती था. वो बिना मतलब चीज़ों से छेड़छाड़ करता रहता था. यह उसकी हमेशा की ही आदत थी. बंदरों के सरदार ने सबको वहां पड़ी चीज़ों से छेड़छाड़ न करने का आदेश दिया थाल पर वो शरारती बंदर सबकी नज़रें बचाकर वहां रखी चीज़ों से ख़ूब छेड़छाड़ करने लगा.

कुछ ही देर में उसकी नज़र उस अधचिरे लठ्ठे पर पड़ी, फिर क्या था, कौतुहलवश वह उसी के साथ खेलने लगा. उस लठ्ठे को यहां-वहां घूम-घूमकर देखने लगा. फिर उसने पास पड़ी आरी को देखा और उसे उठाकर लकड़ी पर रगड़ने लगा. थोड़ी देर बाद वह दोबारा लठ्ठे के बीच फंसे कीले को देखने लगा.

उसके शैतानी दिमाग में शरारती सूझी कि क्यों न इस कीले को लठ्ठे के बीच में से निकाल दिया जाए? वो देखना चाहता था कि ऐसा किया, तो क्या होगा? बस, फिर क्या था. वो कीले को पकड़कर उसे बाहर निकालने के लिए ज़ोर लगाने लगा. लठ्ठे के बीच फंसाया गया कीला तो दो पाटों के बीच बहुत मज़बूती से जकड़ा हुआ था. लेकिन शरारती बंदर ने हार नहीं मानी और बंदर खूब ज़ोर लगाकर उसे हिलाने की कोशिश करने लगा. कीला ज़ोर लगाने पर हिलने व खिसकने लगा, तो बंदर अपनी शक्ति पर खुश हो गया. वह और ज़ोर से कीला सरकाने लगा. इस बीच बंदर की पूंछ कब लकड़ी के दो पाटों के बीच आ गई, उसको पता ही नहीं चला. 

उसने उत्साहित होकर एक ज़ोरदार झटका मारा और जैसे ही कीला बाहर खिंचा, लठ्ठे के दो चिरे भाग क्लिप की तरह जुड़ गए और बीच में फंस गई बंदर की पूंछ. बंदर दर्द से कराह उठा, वो बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया था.
तभी मज़दूर वहां लौटे, तो उन्हें देखते ही बंदर ने भागने के लिए ज़ोर लगाया और उसकी पूंछ और भी बुरी तरह ज़ख़्मी हो गई.
सीख: दूसरों के कार्य में दख़लअंदाज़ी करनेवाले का अंजाम बुरा ही होता है. जिन चीज़ों से हमारा वास्ता न हो, उनके चक्कर में कभी नहीं पड़ना चाहिए.

Sunday, 21 July 2019

पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र (Panchtantra Ki Kahani: Four Clever Friends And A Hunter)

 सच्चे मित्र 

पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
यह बहुत समय पहले की बात है. एक सुदंर से वन में चार मित्र रहते थे- चूहा, कौआ, हिरण और कछुआ. अलग-अलग प्रजाति के जीव होने के बाद भी उनमें बहुत घनिष्टता थी. चारों एक-दूसरे से इतना प्यार करते थे कि एक-दूसरे पर जान छिडकते थे. चारों साथ-साथ खेलते, साथ ही खाते, सा ही घूमते, घुल-मिलकर रहते, खूब बातें करते.
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
उसी वन में एक ख़ूबसूरत सा जल का सरोवर था, जिसमें वह कछुआ रहता था. सरोवर के तट के पास ही एक जामुन का बहुत बड़ा पेड़ था. उसी पेड़ पर घोंसले बनाकर कौवा रहता था. पेड़ के नीचे ज़मीन में बिल बनाकर चूहा रहता था और पास ही घनी झाड़ियों में हिरण का घर था.
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
दिन को कछुआ तट की रेत में खेलता, धूप सेंकता रहता, पानी में डुबकियां लगाता. तब बाकी तीनों मित्र भोजन की तलाश में निकल पड़ते और दूर तक घूमकर सूर्यास्त के व़क्त लौट आते. उसके बाद चारों मित्र इकट्ठे होते. साथ-साथ खाते, खेलते और धमा-चौकड़ी मचाते.
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
इसी तरह दिन मज़े में बीत रहे थे कि एक शाम को चूहा और कौवा तो लौट आए, लेकिन उनका मित्र हिरण नहीं लौटा. तीनों मित्र बैठकर उसका इंतज़ार करने लगे. बहुत देर तक जब हिरण नहीं लौटा, तो वो सब उदास हो गए. कछुआ भर्राए गले से बोला, “वह तो रोज़ तुम दोनों से भी पहले लौट आता था. आज क्या बात हो गई, जो अब तक नहीं आया. मेरा तो घबरा रहा है, कहीं वो किसी मुसीबत में तो नहीं है.”
चूहे ने भी चिंतित स्वर में कहा, “बात बहुत गंभीर है. वह ज़रूर किसी मुसीबत में पड गया है. अब हम क्या करें?”
कौवे ने कहा, “मित्रो, वह जहां चरने प्रायः जाता है, मैं उधर उड़कर देखकर आता, लेकिन अंधेरा हो गया है, इसलिए नीचे कुछ नज़र नहीं आएगा. हमें सुबह तक प्रतीक्षा करनी होगी. सुबह होते ही मैं उसकी कुछ ख़बर ज़रूर लाऊंगा.”
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
कछुए ने कहा, “रातभर नींद नहीं आएगी, तो मैं उस ओर अभी चल पड़ता हूं. मेरी चाल भी बहुत धीमी है. तुम दोनों सुबह आ जाना.”
चूहा भी बोला, “मुझसे भी हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठा जाएगा. मैं भी कछुए भाई के साथ चला जाता हूं. कौए भाई, तुम सुबह होते ही आ जाना.”
यह कहकर कछुआ और चूहा चल दिए. कौवे को भी नींद नहीं आई और वो सुबह होने का
इंतज़ार करने लगा. सुबह होते ही वो उड़ चला. वह उड़ते-उड़ते चारों ओर नज़र डालता जा रहा था कि आगे एक स्थान पर कछुआ और चूहा जाते उसे नज़र आए. कौवे ने कां कां करके उन्हें सूचना दी कि उसने उन्हें देख लिया है और वह खोज में आगे जा रहा है. अब कौवे ने हिरण को पुकारना भी शुरू किया, “मित्र हिरण, तुम कहां हो? आवाज़ दो दो
इतने में ही उसे किसी के रोने की आवाज़ सुनाई दी. स्वर उसके मित्र हिरण का लग रहा था. वह उस आवाज़ की दिशा में उड़कर सीधा उस जगह पहुंचा, जहां हिरण एक शिकारी के जाल में फंसा छटपटा रहा था.
हिरण ने रोते हुए बताया कि कैसे एक ज़ालिम शिकारी ने वहां जाल बिछा रखा था. दुर्भाग्यवश वह जाल नहीं देख पाया और फंस गया. हिरण ने रोते-रोते कहा, “वह शिकारी आता ही होगा. वह मुझे पकड़कर ले जाएगा और मेरी कहानी ख़त्म समझो. मित्र कौवे! तुम चूहे और कछुए को भी मेरा अंतिम नमस्कार कहना.”
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
कौआ बोला, “मित्र, तुम घबरा क्यों रहे हो. हम जान की बाज़ी लगाकर भी तुम्हें छुड़ा लेंगे.”
हिरण ने हताशा से कहा, “लेकिन तुम ऐसा कैसे कर पाओगे? वह शिकारी बहुत ज़ालिम और शक्तिशाली है.”
कौवे ने अपने पंख फड़फड़ाए और अपनी योजना बताई, “सुनो, मैं चूहे को पीठ पर बिठाकर ले आता हू्ं. वह अपने पैने दांतों से जाल को आसानी से कुतर देगा.”
हिरण को आशा की किरण दिखाई दी. उसकी आंखें ख़ुशी से चमक उठीं. कौआ तेज़ी से उड़ा और जल्दी से वहां पहुंचा, जहां कछुआ व चूहा आ पहुंचे थे. कौवे ने समय नष्ट किए बिना बताया, “मित्रो, हमारा दोस्त हिरण एक दुष्ट शिकारी के जाल में कैद है. जान की बाज़ी लगी है. अगर शिकारी के आने से पहले हमने उसे न छुड़ाया, तो वह मारा जाएगा.” कछुआ घबरा गया, उसने पूछा, “उसके लिए हमें क्या करना होगा? जल्दी बताओ?” चूहे के तेज़ दिमाग ने कौवे का इशारा समझ लिया था, इसलिए वो बिना समय गंवाए बोल उठा, “घबराओ मत, कौवे भाई, मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर हिरण के पास जल्द से जल्द ले चलो.” इतने में ही दोनों उड़ चले. चूहे को जाल कुतरकर हिरण को मुक्त करने में अधिक देर नहीं लगी.
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
मुक्त होते ही हिरण ने अपने मित्रों को गले लगा लिया और रुंधे गले से उन्हें धन्यवाद दिया. तभी कछुआ भी वहां आ पहुंचा और ख़ुुशी में शामिल हो गया. हिरण बोला, “दोस्त, तुम भी आ गए. मैं भाग्यशाली हूं, जिसे ऐसे सच्चे मित्र मिले हैं.” चारों मित्र भाव विभोर होकर ख़ुशी से उछलने, कूदने व नाचने लगे.  इतने में ही हिरण चौंका और उसने मित्रों को चेतावनी दी, “भाइयो, देखो वह ज़ालिम शिकारी आ रहा है, तुरंत छिप जाओ.” चूहा फौरन पास के एक बिल में घुस गया. कौआ उड़कर पेड़ की डाल पर जा बैठा. हिरण एक ही छलांग में पास की झाड़ी में जा घुसा, लेकिन कछुआ अपनी धीमी गति के कारण दो कदम भी न जा पाया था कि शिकारी आ ध
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
उसने जाल को कटा देखकर अपना माथा पीटा कि आख़िर जाल में कौन-सा जानवर फंसा था और यह जाल किसने काटा? यह जानने के लिए वह पैरों के निशानों के सुराग ढूंढ़ने के लिए इधर-उधर देख ही रहा था कि उसकी नज़र रेंगते हुए कछुए पर पड़ी. उसकी आंखें चमक उठीं. वह सोचने लगा कि वाह! भागते चोर की लंगोटी ही सही। अब यही कछुआ मेरा शिकार बनेगा और मेरे परिवार का भोजन बनेगा.
उसने कछुए को उठाकर अपने थैले में डाला और जाल समेटकर चल पड़ा.
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
कौवे ने तुरंत हिरण व चूहे को बुलाकर कहा, “मित्रो, कछुए को शिकारी थैले में डालकर ले जा रहा है.”
चूहा बोला, “हमें अपने मित्र की जान बचानी ही होगी और उसे उस शिकारी से छुड़ाना ही होगा, लेकिन कैसे?”
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
इस बार हिरण ने समस्या का हल सुझाया, दोस्तो, हमें चाल चलनी होगी. मैं लंगड़ाता हुआ शिकारी के आगे से निकलुंगा. मुझे लंगड़ा समझकर वह मुझे पकड़ने के लिए कछुए वाला थैला छोड़कर मेरे पीछे जरूर भागेगा. लेकिन वो कितनी देर तक मेरा पीछा कर पाएगा. मैं उसे दूर ले जाकर चकमा दे दूंगा. इस बीच चूहा भाई थैले को कुतरकर कछुए को आज़ाद कर देगा.”
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
यह योजना सबको अच्छी लगी थी. योजना के अनुसार हिरण जानबूझकर शिकारी के रास्ते में आ गया और लंगड़ाकर चलते हिरण को देख शिकारी की बांछे खिल उठीं. वह थैला पटककर हिरण के पीछे दौड़ पड़ा. हिरण उसे लंगड़ाने का नाटक कर घने जंगल की ओर ले गया और फिर उसे चकमा देकर कहीं ओझल हो गया. इस बीच चूहे ने अपना काम कर दिया था और अपने दोस्त कछुए को झुड़ा लिया था.
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
शिकारी ख़ुद से बहुत नाराज़ था कि आख़िर हिरण हाथ नहीं लगा. अब कछुए से ही काम चलाने का इरादा बनाकर जब वह लौटा, तो उसे थैला भी खाली मिला. उसमें छेद बना हुआ था. शिकारी मुंह लटकाकर खाली हाथ घर लौट गया.
पंचतंत्र की कहानी: सच्चे मित्र
सीखः सच्चे मित्र हों, तो जीवन में मुसीबतों का आसानी से सामना किया जा सकता है.

Sunday, 14 July 2019

पंचतंत्र की कहानी: खटमल और मच्छर (Panchtantra Ki Kahani: The Bug And The Mosquito)

 खटमल और मच्छर 


पंचतंत्र की कहानी: खटमल और मच्छर
एक समय की बात है, एक राज्य में शक्तिशाली राजा रहता था. सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक रात राजा अपने राजसी बिस्तर में सो रहा था. तभी न जाने कहां से एक खटमल ने उसके बिस्तर में अपना घर बना लिया. रोज़ रात में जब राजा सो जाता, तब खटमल गुप्त स्थान से बाहर आकर राजा का खून चूस लेता.ऐसा करके कुछ ही दिनों में खटमल काफी मोटा और स्वस्थ हो गया.
एक दिन रात को जब राजा सो रहा था, तो राजा के कमरे की खिड़की खुली रह गई और एक मच्छर कमरे में घुस गया. खटमल ने भिनभिनाने की आवाज़ सुनी तो वह यह देखने के लिए बाहर निकला कि कौन उसके अधिकार क्षेत्र में घुस आया.
उसने मच्छर को देखा और पूछा कि तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो?
मच्छर ने कहा कि मैं मच्छर हूँ. मैं अभी अभी खिड़की के रास्ते से अंदर आया हूं. मैं बहुत थका हुआ हूं और थोड़ा आराम करना चाहता हूं.
यह सुनकर खटमल को गुस्सा आया और वो बोला, नहीं तुम आराम नहीं कर सकते, क्योंकि यह मेरा इलाका है.
मच्छर बहुत चलाक था, वो बोला, ठीक है मैं थोड़ी देर में चला जाऊंगा, लेकिन तुम तो मेरे भाई हो, ज़रा यह तो बताओ कि तुम बहुत स्वस्थ और सुन्दर
दिखते हो. तुम ऐसा क्या खाते हो?
पंचतंत्र की कहानी: खटमल और मच्छर
यह सुनकर खटमल को बहुत अच्छा लगा और वो बोला, मैं एक खटमल हूं और मैं रोज़ रात में राजा का स्वादिष्ट खून चूसता हूं .इसी वजह से मेरा शरीर काफी स्वस्थ है.
मेरे भाई तुम सिर्फ स्वस्थ ही नहीं सुन्दर भी हो, मच्छर ने फिर कहा, तो खटमल ,मच्छर की चापलूसी से खुश हो गया, लेकिन फिर भी उसने कहा, मैं सुन्दर हूं लेकिन तुम यहां से जाओ अभी ये मेरी जगह है.
मच्छर ने कहा, नहीं ऐसा मत कहो. मैं बहुत भूखा हूं और थका हुआ भी हूं, तुम तो मेरे भाई हो, बस एक बार मुझे भी राजा का सवादिष्ट खून चूस लेने दो ,फिर मैं चला जाऊंगा.
पहले तो खटमल ने उसकी बात नहीं मानी, लेकिन मच्छर की लगातार चापलूसी भरी बातें सुनकर खटमल आखिरकार नरम पड़ गया.
लेकिन उसने मच्छर को चेतावनी दी, याद रखो राजा को सिर्फ तब ही काटना जब वो गहरी नींद में हो, वरना वो उठ जायेगा और हमारा जीवन खतरे में पड़ जायेगा.
मच्छर तैयार हो गया. अब मच्छर राजा के सोने की प्रतीक्षा करने लगा.
पंचतंत्र की कहानी: खटमल और मच्छर
खटमल उस रात अपने घर पर ही था. जब राजा सोने आया, तो मच्छर बहुत ही खुश हो गया. जैसे ही राजा अपने बिस्तर पर लेटा मच्छर ने उसे काट लिया. राजा की नींद खुल गई और वो गुस्से से उठा. उसने अपने सेवकों को बुलाया और कहा, मेरे बिस्तर में कोई कीड़ा है. उसे जल्दी ढूंढों और मार दो.
सेवकों ने सारा बिस्तर छान मारा और अंत में उन्होंने खटमल का घर भी ढूंढ लिया और खटमल को मार दिया. इसी बीच मौक़ा पाकर मच्छर वहां से भाग खड़ा हुआ.
सीख: इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी की चिकनी-चुपड़ी बातों में नहीं आना चाहिए और अपरिचित व्यक्ति पर कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए.

Sunday, 7 July 2019

पंचतंत्र की कहानी: दो बिल्लियां और एक बंदर (Panchtantra Ki Kahani: Two Cats And A Monkey)

 दो बिल्लियां और एक बंदर 

दो बिल्लियां और एक बंदर (Panchtantra Ki Kahani: Two Cats And A Monkey)
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में 2 बिल्लियां रहती थीं. दोनों बहुत ही अच्छी दोस्त थीं और दोनों आपस में बहुत प्यार से रहती थीं. दोनों की दोस्ती का सभी लोग उदाहरण देते थे. वो दोनों बहुत ख़ुश थीं. उन्हें जो कुछ भी मिलता था, उसे आपस में मिल-बांटकर खाया करती थीं.
एक दिन दोनों दोपहर के व़क्त खेल रही थीं कि खेलते-खेलते दानों को ज़ोर की भूख लगी. वो भोजन की तलाश में निकल पड़ीं. कुछ दूर जाने पर एक बिल्ली को एक स्वादिष्ट रोटी नज़र आई. उसने झट से उस रोटी को उठा लिया और जैसे ही उसे खाने लगी, तो दूसरी बिल्ली ने कहा, “अरे, यह क्या? तुम अकेले ही रोटी खाने लगीं? मुझे भूल गई क्या? मैं तुम्हारी दोस्त हूं और हम जो भी खाते हैं आपस में बांटकर ही खाते हैं.
पहली बिल्ली ने रोटी के दो टुकड़े किए और दूसरी बिल्ली की ओर एक टुकड़ा बढ़ा दिया. यह देख दूसरी बिल्ली फिर बोली, “यह क्या, तुमने मुझे छोटा टुकड़ा दिया. यह तो ग़लत है.
बस, इसी बात पर दोनों में झगड़ा शुरू हो गया और झगड़ा इतना बढ़ गया कि सारे जानवर इकट्ठा हो गए. इतने में ही एक बंदर आया.
दोनों को झगड़ते देख वो बोला, “अरे बिल्ली रानी, क्यो झगड़ा कर रही हो?”
दोनों ने अपनी दुविधा बंदर को बताई, तो बंदर ने कहा, “बस, इतनी सी बात. मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं. मेरे पास एक तराज़ू है. उसमें मैं ये दोनों टुकड़े रखकर पता कर सकता हूं कि कौन-सा टुकड़ा बड़ा है और कौन-सा छोटा. फिर हम दोनों टुकड़ों को बराबर कर लेंगे. बोलो मंज़ूर?”

दोनों बिल्लियों को बंदर की बात जंच गई. वो तैयार हो गईं. बंदर पेड़ पर चढ़ा और तराज़ू ले आया. उसने दोनों टुकड़े एक-एक पलड़े में रख दिए. तोलते समय उसने देखा कि एक पलड़ा भारी था, तो वो बोला, “अरे, यह टुकड़ा बड़ा है, चलो दोनों को बराबर कर दूं और यह कहते ही उसने बड़े टुकड़े में से थोड़ा-सा तोड़कर खा लिया.
इस तरह से हर बार जो पलड़ा भारी हुआ, उस वाली तरफ़से उसने थोड़ी सी रोटी तोड़कर अपने मुंह में डालनी शुरू कर दी. दोनों बिल्लियां अब घबरा गईं. वो फिर भी चुपचाप बंदर के फैसले का इंतज़ार करती रहीं, लेकिन जब दोनों ने देखा कि दोनों टुकड़े बहुत छोटे-छोटे रह गए, तो वे बंदर से बोलीं, “आप चिंता ना करो, अब हम लोग अपने आप रोटी का बंटवारा कर लेंगी.”
इस बात पर बंदर बोला, “जैसा आप दोनों को ठीक लगे, लेकिन मुझे भी अपनी मेहनत कि मज़दूरी तो मिलनी ही चाहिए ना, इतना कहकर बंदर ने रोटी के बचे हुए दोनों टुकड़े भी अपने मुंह में डाल लिए और बेचारी बिल्लियों को वहां से खाली हाथ ही लौटना पड़ा.
दोनों बिल्लियों को अपनी ग़लती का एहसास हो चुका था और उन्हें समझ में आ चुका था कि आपस की फूट बहुत बुरी होती है और दूसरे इसका फायदा उठा सकते हैं.
सीख: इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कभी भी लालच नहीं करना चाहिए और कभी भी आपस में झगड़कर रिश्ते में फूट नहीं डालनी चाहिए, क्योंकि जब भी हम आपस में लड़ते हैं, तो कोई बाहरी व्यक्ति उसका फ़ायदा उठा जाता है, इसलिए एकता की शक्ति को पहचानें और मिलकर रहें.

Friday, 5 July 2019

Machchhu Official Teaser Gujarati Film



૧૧ ઓગસ્ટ ૧૯૭૯ ના દિવસે મોરબીના મચ્છુ ડેમ તૂટવાની ઘટના પર આધારિત ગુજરાતી ફિલ્મ “મચ્છુ” નું ટીઝર આજે રિલીઝ કરવામાં આવ્યું. શૈલેષ લેઉવા દિગ્દર્શિત આ ફિલ્મના નિર્માતા છે જતીન પટેલ. ફિલ્મમાં મુખ્ય કલાકારો છે મયુર ચૌહાણ, શ્રદ્ધા ડાંગર, અનંગ દેસાઈ, જયેશ મોરે, ગૌરાંગ આનંદ, ચેતન દૈયા, પ્રશાંત બારોટ તથા અન્ય કલાકારો. ફિલ્મના ડાયલોગ્ઝ અને સ્ક્રિનપ્લે લખ્યા છે શૈલેષ લેઉવા અને જય ભટ્ટે. ફિલ્મના કાસ્ટીંગ ડિરેક્ટર છે અભિષેક શાહ. ફિલ્મની રિલીઝ તારીખ હવે જાહેર કરવામાં આવશે. આ રહ્યું ફિલ્મનું ટિઝર