Sunday, 25 August 2019

पंचतंत्र की कहानी: दिन में सपने… (Panchtantra Ki Kahani: Day Dreams)

दिन में सपने…

पंचतंत्र की कहानी, Panchtantra Ki Kahani
पंचतंत्र की कहानी: दिन में सपने… (Panchtantra Ki Kahani: Day Dreams)
एक गांव में एक लड़की अपनी मां के साथ रहती थी. वो लड़की मन की बहुत चंचल थी. अक्सर सपनों में खो जाया करती थी. एक दिन वो दूध से भरा बर्तन लेकर शहर जाने की सोच रही थी. उसने अपनी मां से पूछा, “मां, मैं शहर जा रही हूं, क्या आपको कुछ मंगवाना है?”
उसकी मां ने कहा, “मुझे कुछ नहीं चाहिए. हां, यह दूध बेचकर जो पैसे मिलें, उनसे तुम अपने लिए चाहो तो कुछ ले लेना.”
पंचतंत्र की कहानी, Panchtantra Ki Kahani
वो लड़की शहर की ओर चल पड़ी. चलते-चलते वो फिर सपनों में खो गई. उसने सोचा कि ये दूध बेचकर भला मुझे क्या फ़ायदा होगा. ज़्यादा पैसे तो मिलेंगे नहीं, तो मैं ऐसा क्या करूं कि ज़्यादा पैसे कम सकूं… इतने में ही उसे ख़्याल आया कि दूध बेचकर जो पैसे मिलेंगे उससे वो मुर्गियां ख़रीद सकती है. वो फिर सपनों में खो गई“दूध बेचकर मुझे पैसे मिलेंगे, तो मैं मुर्गियां ख़रीद लूंगी, वो मुर्गियां रोज़ अंडे देंगी. इन अंडों को मैं बाज़ार में बेचकर काफ़ी पैसे कमा सकती हूं. उन पैसों से मैं और मुर्गियां ख़रीदूंगी, फिर उनके चूज़े निकलेंगे, उनसे और अंडे मिलेंगे… इस तरह तो मैं ख़ूब पैसा कमाऊंगी…
लेकिन फिर इतने पैसों का मैं करूंगी क्या?…हां, मैं उन पैसों से एक नई ड्रेस और टोपी ख़रीदूंगी. जब मैं यह ड्रेस और टोपी पहनकर बाहर निकलूंगी, तो पूरे शहर के लड़के मुझे ही देखेंगे.
पंचतंत्र की कहानी, Panchtantra Ki Kahani
सब मुझसे दोस्ती करना चाहेंगे. पास आकर हाय-हैलो बोलेंगे. मैं भी इतराकर उनसे बात करूंगी. बड़ा मज़ा आएगा, लेकिन यह देखकर बाकी की सब लड़कियां तो मुझसे जलने लगेंगी. उन्हें जलता देख मुझे मज़ा आएगा. मैं उन्हें घूरकर देखूंगी और अपनी गर्दन इस तरह से स्टाइल में झटककर आगे बढ़ जाऊंगी.”
पंचतंत्र की कहानी, Panchtantra Ki Kahani
यह कहते ही उस लड़की ने अपनी गर्दन को ज़ोर से झटका और गर्दन झटकते ही उसे सामने रखे एक पत्थर से ठोकर भी लग गई और दूध से भरा बर्तन, तो उसने सिर पर रख रखा था, नीचे गिरकर टूट गया. यह देख वो सदमे में आ गई और उसकी तंद्रा टूटी. मायूस होकर वो गांव लौटी.
उसने अपनी मां से माफी मांगी कि उसने सारा दूध गिरा दिया. यह सुनकर उसकी मां ने कहा, “दूध के गिरने की चिंता छोड़ो, लेकिन एक बात हमेशा याद रखो कि जब तक अंडे न फूट जाएं, तब तक चूज़े गिनने से कोई फ़ायदा नहीं…” मां की हिदायत और इशारा दोनों उसको समझ में आ गया. उसकी मां यही कहना चाहती थी कि जब तक हाथ में कुछ हो नहीं, तब तक उसके बारे में यूं ख़्याली पुलाव नहीं पकाना चाहिए.
सीख: ख़्याली पुलाव पकाने से कोई फ़ायदा नहीं. दिन में सपने देखकर उनमें खोने से कुछ नहीं होगा. अगर सच में कुछ हासिल करना है, तो हक़ीक़त में मेहनत करो.

Sunday, 18 August 2019

पंचतंत्र की कहानी: गौरैया और घमंडी हाथी (Panchtantra Ki Kahani: The Sparrow And The Elephant)


 गौरैया और घमंडी हाथी

Panchtantra Ki Kahani: The Sparrow And The Elephant
पंचतंत्र की कहानी: गौरैया और घमंडी हाथी (Panchtantra Ki Kahani: The Sparrow And The Elephant)
एक जंगल में बड़े से पेड़ पर एक गौरैया अपने पति के साथ रहती थी. उसका पति बाहर जाकर खाने-पीने का इंतज़ाम करता और वह घोंसले में रहकर अपने अंडों की रखवाली करती। गोरैया अपने घोंसले में अंडों से चूजों के निकलने का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी. एक दिन की बात है वो अपने अंडों को से रही थी और उसका पति भी रोज़ की तरह खाने के इंतज़ाम के लिए बाहर गया हुआ था.
Panchtantra Ki Kahani: The Sparrow And The Elephant
उसी जंगल में एक गुस्सैल हाथी में रहता था. वो हाथी वहां आ धमका और आस-पास के पेड़-पौधों को रौंदते हुए तोड़-फोड़ करने लगा. उसी तोड़ फोड़ के दौरान वह उस पेड़ तक भी पहुंच गया, जहां गौरैया रहती थी. उस हाथी ने पेड़ को गिराने के लिए ज़ोर-ज़ोर से हिलाया, लेकिन वह पेड़ बहुत मजबूत था इसलिए हाथी पेड़ को नहीं तोड़ पाया और थककर वहां से चला गया. लेकिन उसके पेड़ को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने से गौरैया का घोंसला टूटकर नीचे आ गिरा और उसके सारे अंडे फूट गए.
Panchtantra Ki Kahani: The Sparrow And The Elephant
गौरैया यह देख बेहद आहत हुई और वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. थोड़ी देर बाद उसका पति भी वापस आ गया. उसे सारा किस्सा पता चला, तो वो भी बहुत दुखी हुआ. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और हाथी से बदला लेने व उसे सबक सिखाने की बात सोची.
उनका एक मित्र था, जो कठफोड़वा था. वे उसके पास पहुंचे और उसे सारी बात बताई. वे हाथी से बदला लेने के लिए कठफोड़वा की मदद चाहते थे. कठफोड़वा के दो अन्य दोस्त भी थे- एक मधुमक्खी और एक मेंढक. वो सब तैयार हो गए और उन्होंने मिलकर हाथी से बदला लेने की योजना बनाई.
Panchtantra Ki Kahani: The Sparrow And The Elephant
तय योजना के तहत सबसे पहले मधुमक्खी ने अपना काम शुरू किया. उसने हाथी के कान में गुनगुनाना शुरू किया. हाथी को उसका संगीत भा गया, उसे उसके संगीत में मज़ा आने लगा और वो पूरी तरह उसके संगीत में तल्लीन हो गया. इसी बीच कठफोड़वा ने अपना काम शुरू कर दिया. उसने हाथी की दोनों आंखों पर वार किया. हाथी दर्द से कराहने लगा.
उसके बाद मेंढक अपनी पलटन के साथ एक दलदल के पास गया और सब मिलकर टर्राने लगे. मेंढकों का टर्राना सुनकर हाथी को लगा कि पास में ही कोई तालाब है. वह उस आवाज़ की दिशा में गया और दलदल में फंस गया. इस तरह से हाथी धीरे-धीरे दलदल में फंसता चला गया.
Panchtantra Ki Kahani: The Sparrow And The Elephant
सीख: एकता में बहुत ताक़त है, यदि कमज़ोर से कमज़ोर लोग भी एकजुट होकर काम करें, तो बड़े से बड़े कार्य को अंजाम दे सकते हैं और ताक़तवर शत्रु को भी पराजित कर सकते हैं. दूसरी ओर यह भी सीख मिलती है कि अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है, हाथी को अपनी ताक़त पर घमंड था और उसका गुस्सा उसकी कमज़ोरी बन गया, जिसका परिणाम उसे भोगना ही पड़ा.

Sunday, 11 August 2019

पंचतंत्र की कहानी: प्यासी चींटी और कबूतर (Panchtantra Ki Kahani: Ant And Dove)


 प्यासी चींटी और कबूतर 


Panchtantra Ki Kahani: Ant And Dove
पंचतंत्र की कहानी: प्यासी चींटी और कबूतर (Panchtantra Ki Kahani: Ant And Dove)
एक समय की बात है, गर्मियों के दिनों में एक चींटी बहुत प्यासी थी और वो अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की तलाश कर रही थी. कुछ देर आस –पास तलाश करने के बाद वह एक नदी के पास पहुंची.
सामने पानी था, लेकिन पानी पीने के लिए वह सीधे नदी में नहीं जा सकती थी, इसलिए वह एक छोटे से पत्थर के ऊपर चढ़ गई. लेकिन जैसे ही उसने पानी पीने की कोशिश की, वह गिर कर नदी में जा गिरी.
Panchtantra Ki Kahani: Ant And Dove
उसी नदी के किनारे एक पेड़ था, जिसकी टहनी पर एक कबूतर बैठा था. उसने चींटी को पानी में गिरते हुए देख लिया. कबूतर को उस पर तरस आया और उसने चींटी को बचाने की कोशिश की. कबूतर ने तेजी से पेड़ से एक पत्ता तोड़कर नदी में संघर्ष कर रही चींटी के पास फेंक दिया.
चींटी उस पत्ते के पास पहुंची और उस पत्ते में चढ़ गयी. थोड़ी देर बाद, पत्ता तैरता हुआ नदी किनारे सूखे आ गया.. चींटी ने पत्ते में से छलांग लगाई और नीचे उतर गई. चींटी ने पेड़ की तरफ देखा और कबूतर को उसकी जान बचाने के लिए धन्यवाद किया.
इस घटना के कुछ दिनों बाद, एक दिन.. एक शिकारी उस नदी किनारे पहुंचा और उस कबूतर के घोंसले के नजदीक ही उसने जाल लगा दिया और उसमें दाना डाल दिया. वह थोड़ी ही दूर जाकर छुप गया और उम्मीद करने लगा कि वह कबूतर को पकड़ लेगा. कबूतर ने जैसे ही जमीन में दाना देखा वह उसे खाने के लिए नीचे आया और शिकारी के जाल में फंस गया.
वो चींटी वहीं पास में थी और उसने कबूतर को जाल में फंसा हुआ देख लिया. कबूतर उस जाल में से निकलने में असमर्थ था. शिकारी ने कबूतर का जाल पकड़ा और चलने लगा. तभी चींटी ने कबूतर की जान बचाने की सोची और उसने तेजी से जाकर शिकारी के पैर में जोर से काट लिया.
तेज दर्द के कारण शिकारी ने उस जाल को छोड़ दिया और अपने पैर को देखने लगा. कबूतर को जाल से निकलने का यह मौका मिल गया और वह तेजी से जाल से निकल कर उड़ गया.
सीख: कर भला, हो भला. हम जब भी दूसरों का भला करते हैं, तो उसका फल हमें जरुर मिलता है. कबूतर ने चींटी की मदद की थी और उसी मदद के फलस्वरूप मुश्किल समय में चींटी ने कबूतर की जान बचाई. इसलिए कभी भी किसी की सहायता करने या अच्छा करने से पीछे न हटें। जब भी मौका मिले, दूसरो की बिना किसी स्वार्थ के मदद करें.

Sunday, 4 August 2019

पंचतंत्र की कहानी: लालची कुत्ता (Panchtantra Ki Kahani: The Greedy Dog)

लालची कुत्ता

Panchtantra Ki Kahani: The Greedy Dog
पंचतंत्र की कहानी: लालची कुत्ता (Panchtantra Ki Kahani: The Greedy Dog)
एक गांव में एक कुत्ता रहता था. वो हमेशा कुछ न कुछ खाने की फिराक में ही रहता था, क्योंकि वह बहुत लालची था. वह भोजन की तलाश में हमेशा यहां-वहां भटकता रहता था, उसका पेट कभी नहीं भरता था. एक दिन की बात है, वो हमेशा की तरह खाने की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था, लेकिन उसे कहीं भी भोजन नहीं मिला. अंत में उसे एक होटल के बाहर एक मांस का एक टुकड़ा दिखाई दिया, उसने झट से उस टुकड़े को मुंह में पकड़ लिया और सोचा कि कहीं एकांत में जाकर मज़े से इसे खाया जाए. वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था, इसलिए मांस का टुकड़ा लेकर वहां से जल्दी से जल्दी भाग गया.
Panchtantra Ki Kahani: The Greedy Dog
एकांत जगह की खोज करते-करते वह एक नदी के पास पहुंचा. नदी के किनारे जाकर उसने नदी में झांका, तो अचानक उसने अपनी परछाई नदी में देखी. वो समझ नहीं पाया कि यह उसी की परछाई है, उसे लगा कि पानी में कोई दूसरा कुत्ता है, जिसके मुंह में भी मांस का टुकड़ा है.
Panchtantra Ki Kahani: The Greedy Dog
उस लालची कुत्ते ने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए. अगर इसका मांस का टुकड़ा भी मिल जाए, तो खाने का मजा दुगुना हो जाएगा. वह उस परछाई पर ज़ोर से भौंका. भौंकने से उसके मुंह में दबा मांस का टुकड़ा नदी में गिर पड़ा. अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा. उसे तब जाकर समझ में आया कि जिसे वो दूसरा कुत्ता समझ रहा था, वो तो उसकी ख़ुद की परछाई है. उसने ज़्यादा के लालच में, जो था वो भी खो दिया. अब वह बहुत पछताया और मुंह लटकाकर वापस गांव में आ गया.
Panchtantra Ki Kahani: The Greedy Dog

सीख: लालच बुरी बला है. लालच नहीं करना चाहिए. दूसरों की चीज़ें छीनने का फल बुरा ही होता है. लालच हमारी ख़ुशियां छीन लेता है, इसलिए अपनी मेहनत पर भरोसा करना चाहिए और मेहनत से जो भी हासिल हुआ हो, उसमें संतोष करना चाहिए. अगर लालच करेंगे तो हमारे पास अभी जितना है, उससे भी हाथ धोना पड़ सकता है.